पहला प्रेम – एक अधूरी कहानी

पहला प्रेम – एक अधूरी कहानी

आज फिर एक और खत लिखा है उसने। पर पोस्ट नहीं किया।
न जाने कब पोस्ट करेगी, बस सोचती रहती है आज करूंगी, अब करूंगी। पर कैसे इतना बड़ा शहर और सिर्फ एक नाम.......

फिर जानती भी तो नहीं ठीक से उसे, कौन है, कहां से आया है, क्या करता है, घर में कौन कौन हैं।
बस यूंही एक दिन मुलाकात हो गई।
हां उसे मुलाकात कह सकते है। बस में साथ साथ 4 घंटों का सफर। रास्ते में बस का टायर पंचर और फिर वो ढाबे पर सब लोगों का उतरना।
एक छोटी चाय की दुकान पर बात हुई। चेंज नहीं थी उसके पास और ना ही ढाबे वाले के पास। पर चाय की चुस्की ले चुकी थी तो वापस भी नहीं कर सकती थी। फिर अचानक किसी ने 20 का एक नोट बढ़ाया और बोला मैडम के पैसे भी काट लो। घूम के देखा तो साथ वाली सीट पर बैठा नौजवान था। 

thank you मैं कंडक्टर से चेंज लेकर आपको लौटा दूंगी, अंजू बोली।
अरे उसकी कोई जरूरत नहीं है, कोई इतनी बड़ी रकम नहीं है, वो बोल पड़ा।
थोड़ी देर में बस ठीक हो गई। बस बातों का सिलसिला चल निकला।
क्या करते हो/ करती हो, कहां से आ रहे हो, दिल्ली में कहां रहते हो वगैरह वगैरह।
बस बातों बातों में दिल्ली का बस अड्डा आ गया। और सब जल्दी जल्दी सामान समेट कर उतर गए।
जल्दी में ना नाम पूछा न नंबर। एड्रेस के नाम पर सिर्फ जगह जनक पूरी।
सोचते सोचते मुस्कुरा दी, फिर एक बार अंजू।
किस्मत में होगा तो जरूर मिलेंगे फिर एक बार।
तब तक खतों का सिलसिला जारी रहेगा, इस उम्मीद पर की जिन्दगी के किसी मोड़ पर जब मिलेंगे कभी न बिछुड़ने के लिए।
शायद फिर कभी, फिर कहीं............
एक अधूरी सी प्रेम कहानी, एकतरफा बेमानी।

आभार - नवीन पहल - १०.०२.२०२२ 🌹🌹🌹❤️❤️

# दैनिक प्रतियोगिता हेतु


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10 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Feb-2022 08:38 PM

बहुत खूबसूरत रचना सर

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धन्यवाद सीमा जी

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Shrishti pandey

11-Feb-2022 09:29 AM

Nice one

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Abhinav ji

11-Feb-2022 09:23 AM

Nice

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